Tuesday, December 3, 2013

अगर कभी फिर मिलना हुआ

चाहने वाले की तरह नहीं
कि हर चाहना एक दिन मंद पड़ जाती है
देखने वाले की तरह भी नहीं
कि एक वक्त के बाद देखने को बचता ही क्या है

अगर कभी फिर मिलना हुआ
तो तुमसे खोजी की तरह मिलूंगा
कि यही एक तरीका
हमें वक्त की अंधेरगर्दी से बचाएगा

5 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

रोचक

chugulkhor said...

बेहतरीन

आशुतोष कुमार said...

वक़्त की अंधेरगर्दी जैसे बासी मुहावरे ने एक बेहतरीन काव्य सम्भावना को क्षति पहुंचाई है। क्षमायाचना सहित।

आशुतोष कुमार said...

वक़्त की अंधेरगर्दी जैसे बासी मुहावरे ने एक बेहतरीन काव्य सम्भावना को क्षति पहुंचाई है। क्षमायाचना सहित।

चंद्रभूषण said...

इस्तेमाल करने से बासी चीजें भी ताजी होती रहती हैं डियर आशुतोष।