Wednesday, September 28, 2016

छोटी कविताएं

1. ओस
गौर से देखने पर दिखती है
वरना जैसे लपक कर आती है
वैसे ही झपक कर चली भी जाती है
क्वार महीने की नन्ही सतरंगी ओस

2. सपने
जिंदगी जो पत्थर तुड़वाती है
नींद की गधागाड़ी उसपर खड़भड़ करती जाती है
फिर बाज की तरह झपट कर सपने आते हैं
और पंजों में दबाए कहीं के कहीं उड़ जाते हैं

3. प्यार
नफरत इतनी
कि धड़कनों से भी तेज चलता था
चाकू वाला हाथ
कुछ दिन पहले साथ में सेल्फियां लेते वक्त
क्या इससे ज्यादा रहा होगा प्यार?

4. कविताएं
फिर शुरू हुआ भूलने, सनकने
बीस बातें सुनकर चुप रह जाने का दौर
कविताएं कहीं आसपास हैं

5. भाषाजाल
गुस्से में मारो प्यार में मारो
ऊब रहे हो तो यूं ही उठो और मारो
फिर अच्छा सा कुछ बोल कर मना लो
आखिर स्त्रियों के लिए ही बना है यह भाषाजाल

3 comments:

Akki said...
This comment has been removed by the author.
Akki said...

AmaZing Poem I really like it.Akshay

Anil Sahu said...

Very nice