खो आए
सारे मौसम खो आए
ढो लाए
बदले में
दुनिया भर की तारीखें
सिर्फ एक साल में
क्या से क्या हो आए
अपना आपा खो आए
ढो लाए
बदले में
दुनिया भर की तारीफें
इतने बेआवाज हुए
औरों से तो क्या
खुद से
बातें करना भूल गए
मुबारक हो हुजूर
जिंदगी की पहली कामयाबी
मुबारक हो।
4 comments:
इतने बेआवाज हुए
औरों से तो क्या
खुद से
बातें करना भूल गए
आज की हर इंसान की त्रासदी ...अच्छी रचना
चलिए हुज़ूर, कामयाबी और तारीफें भी समय के घावों में महफूज़; मौसमों और तारीखों में नत्थी
इतने बेआवाज हुए
औरों से तो क्या
खुद से
बातें करना भूल गए
मुबारक हो हुजूर
जिंदगी की पहली कामयाबी
मुबारक हो।
अच्छी कविता ...... क्या मिसाल दी है ज़िंदगी की
इतने बेआवाज हुए
औरों से तो क्या
खुद से
बातें करना भूल गए
मुबारक हो हुजूर
जिंदगी की पहली कामयाबी
मुबारक हो।
अच्छी कविता ...... क्या मिसाल दी है ज़िंदगी की
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