Friday, February 18, 2011

कामयाबी

खो आए
सारे मौसम खो आए
ढो लाए
बदले में
दुनिया भर की तारीखें

सिर्फ एक साल में
क्या से क्या हो आए
अपना आपा खो आए
ढो लाए
बदले में
दुनिया भर की तारीफें

इतने बेआवाज हुए
औरों से तो क्या
खुद से
बातें करना भूल गए

मुबारक हो हुजूर
जिंदगी की पहली कामयाबी
मुबारक हो।

4 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

इतने बेआवाज हुए
औरों से तो क्या
खुद से
बातें करना भूल गए

आज की हर इंसान की त्रासदी ...अच्छी रचना

Unknown said...

चलिए हुज़ूर, कामयाबी और तारीफें भी समय के घावों में महफूज़; मौसमों और तारीखों में नत्थी

http://anusamvedna.blogspot.com said...

इतने बेआवाज हुए
औरों से तो क्या
खुद से
बातें करना भूल गए

मुबारक हो हुजूर
जिंदगी की पहली कामयाबी
मुबारक हो।


अच्छी कविता ...... क्या मिसाल दी है ज़िंदगी की

http://anusamvedna.blogspot.com said...

इतने बेआवाज हुए
औरों से तो क्या
खुद से
बातें करना भूल गए

मुबारक हो हुजूर
जिंदगी की पहली कामयाबी
मुबारक हो।


अच्छी कविता ...... क्या मिसाल दी है ज़िंदगी की