Tuesday, May 29, 2018

कोई इश्यू नहीं

मेहनत करना और लुट जाना
कोई वक्त था जब इस हादसे के साथ
दो रत्ती प्रतिरोध की गरिमा जुड़ी थी
अभी तो बस इतना कि लुटने के बाद
और अगली दिहाड़ी शुरू करने से पहले
वीराने में निपट अकेली रुलाई की तरह
आप इनसे-उनसे शिकायतें करते हैं
और उबल रही बौखलाहट के बीच
इर्द-गिर्द गूंज रही दबी हुई हंसी की
प्रफुल्लित आवाजें सुनते हैं
कितना अच्छा होता कि यह बात
इतने पर ही खत्म हो जाती
लेकिन अच्छा होना भी अब कहां होता है
आपकी शिकायत चर्चा में आ चुकी है
कोई चतुर-चपल कामयाब इंसान
तुरत-फुरत आपको समझाने आता है-
‘ये-वो ऐसा-वैसा, और कोई इश्यू नहीं
सही जगह, सही तरीके से आप
अपनी बात कहें और अपना ख्याल रखें
पैसा कम-ज्यादा होना कोई इश्यू नहीं’
समझाने वाला जा चुका है
बात भी समझ में आ चुकी है
अगली शिफ्ट की ताकत जुटाने के लिए
किसी और समझदार इंसान से आप
पैसों के बिना अपना ख्याल रख लेने का
तरीका जल्द से जल्द पूछ लेना चाहते हैं
काम यकीनन मुश्किल है, फिर भी
चांद डूबने तक कोई चमकीला आइकन
इसका मंत्र आपको सिखा छोड़ेगा
यकीन रखें, यह कोई इश्यू नहीं है!

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