टेडी से पूछो कि उस रात क्या हुआ
वही है अकेला चश्मदीद गवाह
जिसने सच बोलने से कभी मना नहीं किया
और झूठ बोलने का जिसपर कोई दबाव नहीं था
वह आरुषि के साथ खेलता था,
जब वह बहुत छोटी थी
और काफी दिनों तक उसके बड़े होने के बाद भी,
जब और कोई भी उसके साथ नहीं खेलता था
पता नहीं क्यों एक बीतती हुई रात में उसे उठाकर
सोई हुई आरुषि के बगल में फेंक दिया गया
हालांकि अर्से से वह बेड के नीचे ही रहता था-
लड़की तो कब का उसके साथ खेलना छोड़ चुकी थी
सारे टेडी ऐसे ही जीते-मरते हैं
दुलार पाते-पाते एक दिन उनमें जान पड़ जाती है
फिर किसी एक उदास रात में उन्हें लगता है
कि अब वे किसी काम के नहीं रहे
और हां, लड़कों के टेडी तो थोड़ी-बहुत
लत्तम-घूंसम नोंच-खसोट जानते भी हैं
लड़कियों वाले वह भी नहीं जानते
शायद इसीलिए इतनी देर तक दुलराए जाते हैं
सफेद थूथनी वाला यह छोटा सा पीला टेडी
क्या जाने खोपड़ी पर जानलेवा भोथरी चोट
और गले पर धारदार तराश के मायने-
वह तो फोटो खिंचने तक छुए जाने के ही इंतजार में था
सचाई कोई नहीं बताएगा
न पुलिस न सीबीआई न मीडिया न वकील
तुम तो बस इस टेडी से पूछो
कि चौदह साल की बच्ची के साथ कोई वह सब कैसे कर सकता है
जो कूड़े के ढेर पर पड़े एक फटे हुए टेडी के साथ भी नहीं कर सकता
1 comment:
very touching
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