घोर जाड़े में पड़ने वाले अकेले त्योहार क्रिसमस का ढोल-धम्मड़ और पटाखों वाला पंजाबी संस्करण आज रात हम सभी का इंतजार कर रहा है। इसे दुनिया भर में ईसा मसीह का जन्मदिन समझकर मनाया जाता है लेकिन इस बात को लेकर ईसाइयों के बीच आम सहमति ज्यादा पुरानी नहीं है।
क्रिसमस के मूल शब्द क्रिस्टे मास का क्रिस्टे एकबारगी क्राइस्ट से जुड़ा जान पड़ता है, लेकिन लैटिन में इसका अर्थ एक विशेषण- पवित्र- है। क्रिसमस, यानी पवित्र सभा। अभी दो सौ साल पहले तक ज्यादातर ईसाइयों के लिए इस पर्व का उल्लास चर्च की रस्मी एक सभा तक ही सीमित हुआ करता था, हालांकि इसे लेकर उनके बीच कुछ संदेह भी थे।
सन 312 में सम्राट कॉन्स्टेंटाइन ने ईसाई धर्म अपनाया और इसे रोमन साम्राज्य का राजधर्म घोषित किया। इसके 42 साल बाद सन 354 में एक रोमन सांसद फाउस्ट ने आम सभा में कहा कि प्रभु यीशु का जन्म दिन अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाना ठीक नहीं है। फिर इसी साल रोम के मुख्य पादरी बिशप लाइबेरियस ने इसके लिए स्थायी रूप से 25 दिसंबर की तारीख मुकर्रर की।
रोमनों का पारंपरिक त्योहार ब्रूमा 25 दिसंबर को ही मनाया जाता था, जिसका ईसाइयत से कुछ भी लेना-देना नहीं था। ईसाइयों का बड़ा हिस्सा रोमन साम्राज्य की घोषणा के सैकड़ों साल बाद भी 25 दिसंबर को ईसा का जन्मदिन मानने को राजी नहीं हुआ क्योंकि उसे लगता रहा कि रोमनों ने अपना पगान (गैर-ईसाई) त्योहार उन पर थोपने के लिए जबर्दस्ती यह मान्यता बना दी है।
हल्ला-गुल्ला, मौज-मजे वाले अपने मौजूदा रूप में क्रिसमस की शुरुआत कहां से हुई, सेंटा क्लॉज, क्रिसमस ट्री और कैरल गाने की परंपराएं इसमें कहां और कब जुड़ती गईं, इसे लेकर स्थिति आज भी बहुत स्पष्ट नहीं है। बर्फ की चिकनी सतह पर स्लेज से चलने वाले सेंटा क्लॉज का यरूशलम जैसी गर्म जगह से भला क्या मेल हो सकता है?
खोजी लेखक जो पेरी ने हाल में अपनी किताब 'क्रिसमस इन जर्मनी' में काफी खोजबीन के बाद यह नतीजा निकाला है कि यह त्योहार दरअसल उन्नीसवीं सदी में जर्मनी की खोज है। नेपोलियन द्वारा युद्ध में पराजित होने के बाद जर्मन रियासतों को एक राष्ट्रीय पहचान की जरूरत थी। मार्टिन लूथर किंग द्वारा जर्मन में तुक के साथ अनूदित लूका रचित सुसमाचार की नए-नए छापाखानों में छपी प्रतियां उनके लिए इसका माध्यम बन गईं।
अपने आधुनिक रूप में क्रिसमस सबसे पहले 1820 के दशक में जर्मन कुलीनों और मध्यवर्गीय बुद्धिजीवियों के घरों में मनाया गया। क्रिसमस पर सरकारी छुट्टी घोषित किए जाने की परंपरा भी दुनिया में सबसे पहले जर्मनी में ही शुरू हुई। 1840 में जर्मनी से ही प्रिंस एलबर्ट ब्रिटेन में सबसे पहला क्रिसमस ट्री लेकर आए और लगभग इसी समय यह त्योहार यूरोप से आई एक नई रस्म के रूप में अमेरिका में भी धूमधाम से मनाया जाने लगा।
क्रिसमस कार्ड सबसे पहले 1880 के दशक में जर्मनी में बंटे थे। 12 रेंडियरों के साथ घूमने वाले दानी संत क्लॉज को ईसाइयत में नॉर्वे, स्वीडन आदि नॉर्डिक देशों का मौलिक योगदान माना जाता है, लेकिन क्रिसमस की रात उनका बच्चों के सिरहाने गिफ्ट रख जाना शायद जर्मन कल्पना की ही उपज है।
यहूदी त्यौहार हनुक्का का जोशोखरोश से मनाया जाना जर्मन क्रिसमस की प्रतिक्रिया थी। बाद में उन्हें इसका नुकसान भी उठाना पड़ा। नाजियों ने इस त्यौहार का इस्तेमाल यहूदियों को और ज्यादा अलग-थलग करने और अपनी विचारधारा को लोकप्रिय बनाने में किया था। क्रिसमस ट्री की सजावट में स्वस्तिक के आकार वाली चकमक बत्तियां उनका मौलिक योगदान हैं। यह बात और है कि समय के साथ क्रिसमस की धूम बढ़ती गई जबकि नाजी अपनी विचारधारा समेत धूल में मिल गए।
4 comments:
क्रिसमस के बारे में जानकारी अच्छी लगी। बहुत दिन बाद आपको पढ़ना बहुत अच्छा लगा।
इतने समय बाद आपकी टीप मिली, मजा आ गया। बीच में एक दिन आपका लिखा एक बहुत लंबा पवांरा पढ़ा था- चींटी और पहाड़ के बारे में। ध्यान नहीं कि कमेंट किया था या नहीं, हालांकि उसपर वैसे भी कमेंट्स का गांज लगा हुआ था। शब्दावली पर बकलमखुद में मेरे अपने पवांरे का सिलसिला फिर शुरू हुआ है...देखकर बताइएगा।
क्रिसमस की कुंडली बांची गई. त्योहार की पूरी कहानी रोचक है पर हिंदुस्तानी/पंजाबी धम्मड़ संस्करण की बात ही और है.
सुंदर जानकारी...क्रिसमस की शुभकामनायें!
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