परसों रात हॉलीवुड की नई चर्चित रिलीज ब्योवुल्फ का प्रीमियर शो देखने का मौका मिला। हैरी पॉटर सीरीज और लॉर्ड ऑफ रिंग्स की ही तर्ज पर यह फिल्म उत्तरी यूरोप के मिथकों और पुराने टोने-टोटकों को भुनाने की कोशिश करती है। ब्योवुल्फ अंग्रेजी भाषा की लिखित रूप में प्राप्त हुई सबसे पुरानी रचना है। 1000 ई. के आसपास तैयार की गई इसकी एक प्रतिलिपि ब्रिटेन में कहीं खुदाई के दौरान प्राप्त हुई थी।
भाषिक संरचना से अनुमान लगाया जाता है कि यह सातवीं सदी के आसपास की कोई मौखिक रचना होगी। यह वह समय था जब जर्मनी के उत्तरी और डेनमार्क के दक्षिणी इलाकों से सैक्सन कबीले एकजुट होकर इंग्लैंड का एक बड़ा हिस्सा अपने कब्जे में ले चुके थे। उनकी जुबान पर वहां की आदिम आंग्ल जाति का रंग चढ़ चुका था, लेकिन उनका भावनात्मक संसार उस समय भी उत्तरी यूरोप के ही बाहर से सर्द, जमे हुए लेकिन भीतर से जोशीले भावबोध से ओतप्रोत था।
इस रचना के मूल रचनाकार के बारे में कोई जानकारी नहीं है, न ही उस प्रतिलिपिकार के बारे में, जिसकी उतारी हुई नकल खुदाई में प्राप्त हुई थी। लेकिन इतना तय है कि प्रतिलिपिकार का भावबोध मूलतः ईसाई धर्म से निर्मित था और नकल तैयार करने के दौरान उसने मिथकीकृत समुद्री डकैत ब्योवुल्फ को लगभग ईसा जैसा बना डाला।
इस फिल्म में ब्योवुल्फ के ईसाईकरण की प्रक्रिया को और भी आगे बढ़ाया गया है। प्रतिलिपि के रूप में प्राप्त मूल रचना में ब्योवुल्फ राजा ह्राथगर के राज को तबाह करने वाले दानव ग्रेंडेल, उसकी मां और एक बेनामी ड्रैगन का वध करता है, जबकि फिल्म में उसे (रे विंस्टन) ग्रेंडेल की मां (ऐंजेलिना जोली) और ड्रैगन को एक करते हुए बताया गया है कि मनुष्य की वासना ही दरअसल उसे तबाह करने वाला सबसे बड़ा शैतान है। प्रीमियर से पहले भ्रष्ट अनुवाद और वर्तनी वाली जो सिनॉप्सिस हमें मुहैया कराई गई थी, उसमें बताया गया था कि ग्रेंडेल के वध के बाद उसकी मां ब्योवुल्फ को सजा देने के लिए अपने फंसाऊ सौंदर्य के इर्द-गिर्द एक भयानक षड्यंत्र रचती है। लेकिन फिल्म देखने के दौरान इस षड्यंत्र का कोई सुराग नहीं मिल सका।
बहरहाल, इस फिल्म में ऐंजेलिना जोली और रे विंस्टन की सांचे में ढली निर्वस्त्र देहयष्टि के अलावा जबर्दस्त एनीमेशन, सिनेमैटोग्राफी और साउंड क्वालिटी ने भी मुझे प्रभावित किया- लेकिन फिल्म में चकित करने वाली बातें सिर्फ दो लगीं, और दोनों नकारात्मक। एक तो क्रॉस और नर्क की आग जैसे ईसाई प्रतीकों की बहुलता और वासना को मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु मानने वाली ईसाई नैतिकता का अनठेल इस्तेमाल, और दूसरा- मुंबइया फिल्मों को भी मात करने वाली लद्धड़ स्क्रिप्ट, जिसमें आप कहीं, किसी जगह कोई नोडल प्वाइंट आने की उम्मीद करते ही रह जाते हैं और पूरी फिल्म एक इमोशन से दूसरे इमोशन, एक ऐक्शन से दूसरे ऐक्शन तक होती हुई खत्म भी हो जाती है।
ठीक ऐसा ही हाल मैंने हैरी पॉटर सीरीज की फिल्मों का भी देखा है। अब तक देखी गई इस सीरीज की पांचो फिल्मों से सिर्फ पहली और तीसरी को छोड़कर बाकी तीनों में नोडल प्वाइंट विकसित ही नहीं होने पाता। ऐसा लगता है कि एडीटर के पास तीन-चार घंटे का फुटेज था, जिसमें से उसने ऐक्शन-ऐक्शन निकालकर बाकी सारा हिस्सा बाहर फेंक दिया। अब, या तो फिल्म का स्क्रिप्ट राइटर ही कमजोर रहा हो और उसके दिमाग में फिल्म की समग्र तस्वीर नदारद रही हो, या फिर सारा कुछ एडीटर पर ही छोड़ दिया गया और प्रोड्यूसर ने उसे साफ तौर पर निर्देश दे रखे हों कि फिल्म को यूरोप और अमेरिका में ही नहीं, पूरी दुनिया में बेचना है, लिहाजा दो घंटे का सेक्स, ऐक्शन और वायलेंस निकालकर बाकी सारा फेंक दो।
आश्चर्य होता है कि इसी हॉलीवुड में कभी गन्स ऑफ नैवरोन जैसी ऐक्शन पैक्ड फिल्में भी बनती थीं, जिनकी स्क्रिप्ट में कहीं एक शब्द इधर से उधर करने की गुंजाइश नहीं लगती थी और क्लाइमेक्स बिना किसी झोल के, बिल्कुल सांचे में ढला हुआ आता था। शायद इसकी वजह उनके सीमित टार्गेट ऑडिएंस में रही हो। लेकिन सबसे कम-अक्ल दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाई जाने वाली और करोड़ों डालर का मुनाफा पीटने वाली ऐसी झोलदार फिल्मों में ईसाइयत के लिए गुंजाइश कहां से निकाल ली जा रही है? क्या इसे धर्मयोद्धा बुश के नेतृत्व में चल रहे 'आतंकवाद विरोधी युद्ध' की देन माना जाए?
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