दोस्तो, अभी रवां नहीं हुआ हूँ लेकिन आनंद आ रहा है। अभय, विमल आप लोगों को चिट्ठी- बल्कि चिट्ठा- लिखने का यह पहला मौका है। और, मजे हो रहे हैं? अनिल रघुवंशी कौन हैं? प्रोफाइल से कुछ पता नहीं चला। थोड़ा इसको लिखना-पढ़ना आ जाए तो कुछ और बातें हों। अभी तो सारा कुछ गुरू घंटालों के भरोसे है।
8 comments:
अच्छा.... गुरु ... घंटाल .... ये लोग कौन हैं ?
बाज़ार वाला
www.bajaar.blogspot.com
चलिये आपका जवाब तो आया.. हम सोचने लगे थे कि कहीं ऐसा तो नहीं कि आपने हमें बेग़ाना कर दिया..
नक्सली कार्यकर्ता?!!!
आपने तो आते ही डरा दिया.
स्वागतम-स्वागतम...
स्वागत है!
स्वागत है, आइए. ऐसा लग रहा है कि कहने को बहुत कुछ होना चाहिए आपके पास.
स्वागत है।
अभय के ब्लॉग से ब्लॉग की दुनिया में आपके पदार्पण की सूचना मिली। अविनाश, अभय, रवीश वगैरह ने यहां पहले से ही तहलका मचा रखा है। अब आप भी जंग-ए-मैदान में उतर चुके हैं। मेरा अपना कोई ब्लॉग नहीं, मैं सबके ब्लॉगों में कूद-फांद मचाती रहती हूं। फिलहाल आपका बहुत-बहुत स्वागत है।
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