Thursday, August 23, 2018

ऑटो वाले भाई

अछरकट्टू पण्डितों से तो जीवन भरा है
बाद मुद्दत पाले पड़ गया बदरकट्टू घाम
बीस मिनट में जाग गई पर्यावरण चेतना
वृक्षों की जरूरत पर लिख लिया निबन्ध
जल की आवश्यकता पर दे डाला भाषण
याद आए धान के खेतों में घास उखाड़ते
अनजान गांवों के वे अनजाने औरत-मर्द
रास्ता पूछने पर जो पानी भी पिलाते थे
पानी का क्या, वह तो यहां भी पिला देंगे
जगह ही ऐसी है, पानी पिला देने वाली!
सुनो भाई ओ साइकिल वाले, ऑटो वाले
कुछ देर से मुझे थोड़ा चक्कर आ रहा है
यहां से पूरब पड़ता है एक गांव मनियारपुर
उसके बीेचोबीच टूटे नीम के पीछे मेरा घर
उसका ताला तोड़कर दो गुड़ निकाल लाना
पानी तो इस बस्ती में हम-तुम खोज ही लेंगे
एक-एक गुड़ भी हो तो जीवन दौड़ पड़ेगा
तुम लौटो तब तक कुछ और पेड़ टूटे होंगे
बदरकट्टू घाम में और बुरा फंसने का मार्ग
कोई भी अछरकट्टू पण्डित हमें दिखा देगा

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