पड़ोसी मुल्क चीन में अभी नए साल की छुट्टियां चल रही हैं। बारह राशियों की तर्ज पर वहां बारह अलग-अलग नामों वाले साल लौट-लौट कर आते हैं। हालांकि ये राशियां वे नहीं हैं जो यूरोप-अमेरिका और भारत में मानी जाती हैं। जैसे, यह साल वहां कुत्ते का साल है, पिछला साल मुर्गे का था और अगला सुअर का होगा। उसके बाद, यानी 2020 से चूहे के साल के साथ 12 वर्षों का नया चक्र आरंभ होगा।
इस बार का चीनी नववर्ष बीती 16 फरवरी को पड़ा था, हालांकि इसकी छुट्टियां 15 फरवरी से शुरू हो गई हैं और 21 फरवरी तक चलेंगी। चीनी साल चंद्रवर्ष हुआ करते हैं और नया साल वहां 21 दिसंबर से 20 मार्च के बीच आता है। फिलहाल वहां हर जगह ग्रेगोरियन कैलेंडर ही इस्तेमाल होता है। यानी साल को लेकर जैसा कन्फ्यूजन आपको नेपाल में घूमते-टहलते हुए होता है, चीन में उसकी कोई आशंका नहीं है।
नेपाली आज भी रोजमर्रा के जीवन में विक्रमी संवत ही इस्तेमाल करते हैं, जो चंद्रवर्ष के नियमों का अनुसरण करता है और उसके साल ग्रेगोरियन वर्षों की तुलना में 57-58 साल आगे चलते हैं। इसके विपरीत चीनी साल का महत्व अब नववर्ष के उत्सव के तौर पर ही रह गया है। आप किसी से भी पूछें (बशर्ते वह इतिहास का विद्वान न हो) तो वह शायद ही बता पाए कि अभी कौन सा साल चल रहा है।
इस लेख को पढ़ने वाले कुछ विद्वान भी हो सकते हैं, लिहाजा बता दूं कि अभी चीन में 4716 वां वर्ष चल रहा है। जिस ग्रेगोरियन साल को हम जानते हैं, वह अभी 2018 है और भारत में जो देसी वर्ष चलते आये हैं, उनमें शक संवत ग्रेगोरियन से 78 वर्ष कम और विक्रमी संवत इससे 57-58 साल ज्यादा दर्ज किए जाते हैं। यानी अभी शक संवत 1940 और विक्रमी संवत 2075 चल रहा होगा। नेपाल के लोग आम बातचीत में अपनी नई हुकूमत को सन 75 की सरकार बोल रहे होंगे।
चीनी साल की तुलना इससे करके देखें तो न सिर्फ एशिया में बल्कि पूरी दुनिया में चीनी सभ्यता की प्राचीनता का अंदाजा मिलता है। चीन में एक लड़की ने थोड़ी हिकारत के साथ भारतीय सभ्यता को बहुत ही नई बताया तो मेरा राष्ट्रवाद जाग उठा और मैंने वेद से लेकर सिंधु घाटी तक के किस्से बयान कर दिए। लेकिन 4716 के आस-पास पहुंचने वाला कोई साल मैं अपनी सभ्यता को सिंधु घाटी से जोड़कर भी निकाल नहीं पाया।
बहरहाल, चीनी अपना नया साल होली के बजाय दीवाली की तर्ज पर मनाते हैं। लंबी छुट्टियां, खूब खर्चा, दनादन पटाखे, परिचितों-मित्रों-रिश्तेदारों को लंबी-चौड़ी भेटें (स्वादिष्ट टिकाऊ व्यंजन और नकदी, दोनों ही शक्लों में), जिसे लाल लिफाफा कहा जाता है।
और तो और, सरकारी अफसरों के लिए घूस उगाही के मौके के रूप में भी इस त्यौहार को हमारी दीवाली की ही तरह लिया जाता है। बताया जा रहा है कि दो तकनीकों वीचैट और हाईस्पीड रेलवे ने पिछले तीन वर्षों में चीनी नववर्ष के माहौल को बहुत बदल दिया है।
अपने फेसबुक-ट्विटर जैसे ऑनलाइन सोशल प्लेटफॉर्म वीचैट के जरिये लोगों को नकदी भेंटें अब ऑनलाइन भेजी जा रही हैं। इससे भेंटों की तादाद बढ़ गई है। एक सर्वे के मुताबिक इन तीन वर्षों के अंदर ही प्रति व्यक्ति औसत नकदी भेटों की तादाद 2 से बढ़कर सीधे 33 हो गई है। और हाई स्पीड ट्रेनों का कमाल यह है कि बहुत ज्यादा लोग त्यौहार मनाने दूर-दराज के इलाकों से अपने घर चले आ रहे हैं। इससे नववर्ष पर जबर्दस्त चलने वाले होटलों का धंधा मंदा पड़ गया है।
रही बात जुए की तो अपने गोवा की तरह चीन में वह सिर्फ मकाऊ में एलाउड है, जहां इस बार धंधे में धकाधक बढ़त दर्ज की जा रही है।
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