नाक से रिसता गाढ़ा खून
टूटा दांत और फूटा सिर लिए
झपटता-सा खड़ा है पिंजड़े में बंद
क्रोध और बेचारगी से फनफनाया हुआ
अरावली के जंगलों का खूंखार तेंदुआ
बहुत लंबी है इसके गुनाहों की लिस्ट
पर असल मुद्दा हैं मि. जैन के
दो महंगे विदेशी कुत्ते- टाइगर और बॉस
आकर पड़े रहें सोहना के इस फार्महाउस में
मि. जैन को इतनी फुर्सत कहां
बस कुछ नौकर-चाकर और ये दो कुत्ते
करते थे यहां उनका प्रतिनिधित्व
दुष्ट तेंदुआ पिछले पंद्रह दिन में बारी-बारी
कुत्तों को तो ऐसे चबा गया
कि मीलों-मील तक हड्डियां भी नहीं मिलीं
फिर क्या था, जैन साहब का मामला!
मीडिया सक्रिय हुआ रातोंरात
मिट्टी से उठाई पंजों की छाप टीवी पर देखकर
पूरे देश ने जाना 'गुड़गांव में शेर का आतंक'
वन-विभाग भी कबतक चुप बैठता
फंदा आखिर लगाना ही पड़ा
वजन पड़ते खटाक बंद होने वाला पिंजड़ा
और उसमें बंधा एक आवारा देसी कुत्ता
पूरी रात तेंदुओं की गर्जना से
यहां किसी की पलक नहीं पड़ी है
दिन उगने तक भीतर से यह
और बाहर दो बच्चों के साथ इसकी मादा
पिंजड़े को काटते-झिंझोड़ते रहे
भीड़ देख अभी-अभी तो वे टले हैं
पलट-पलट गुर्राते मुड़-मुड़ टोहते
तेंदुए के बच निकलने की आखिरी उम्मीद
इस जंगल-झाड़ से पता नहीं किसको
इतना प्रेम उमड़ता रहता है
पंद्रह साल की कोशिशों के बाद
सौ-एक तो फार्महाउस यहां बन पाए हैं
न कोई मॉल न मल्टीप्लेक्स
न ढंग का कोई इन्फ्रास्ट्रक्चर
जब देखो तब फारेस्ट वाले
और चले आते हैं पैसे उगाहने
जरा सोचिए, आबादी के इस इलाके में
खतरनाक जानवरों का क्या काम
जल्दी से जल्दी ये खत्म हों
साफ हो सब जंगल-झाड़
फिर तो विदेशी कुत्ते क्या
हर रात विदेशी औरतें दिखेंगी यहां
मंगल ही मंगल होगा चारो ओर
देसी कुत्ते, देसी तेंदुए, देसी औरतें
कभी तो इनसे छुटकारा मिलेगा!
5 comments:
क्या बात है! जबरदस्त!
आजकल अरावली के तेंदुए - पुराने किले के अन्दर ही सुरक्षित हैं - बाजार का अरण्य जानलेवा है - फिर देसी खूंखार कम कहाँ?
बहुत उम्दा चित्रण. बधाई.
एक दारुण कथा के साथ कुछ सीख और चेतावनी भी ....
bahut chust kvita....chandu bhaiya lajvab.....
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