मोरी उचटलि नींद सेजरिया हो
करवट-करवट राति गई।।
ना कहुं मुरली ना कहुं पायल
झन-झन बाजै अन्हरिया हो
ना कहुं गोइयां ताल मिलावैं
बेसुर जाय उमरिया हो
करवट-करवट राति गई।।
कहवां मोहन कहां राधिका
ब्रज की कवनि डगरिया हो
कहवां फूले कदम कंटीले
कवनि डारि कोइलरिया हो
करवट-करवट राति गई।।
एकला मोहन एकली राधिका
भौंचक बीच बजरिया हो
एकली बंधी प्रीत की डोरी
लेत न कोऊ खबरिया हो
करवट-करवट राति गई।।
ऊधो तोहरी रहनि बेगानी
एकली सारी नगरिया हो
देहिं उगै जइसे जरत चनरमा
हियरा बजर अन्हरिया हो
करवट-करवट राति गई।।
रहन कहौ यहि देस न ऊधो
हमरी जाति अनरिया हो
राही हम कोउ अगम देस कै
चलब होत भिनुसरिया हो
करवट-करवट राति गई।।
मोरी उचटलि नींद सेजरिया हो
करवट-करवट राति गई।।
6 comments:
खेलत खेलत बीती जाय
बीती जाय उमरिया हो
अबकी फ़गुआ अपने संग
खेलेंगे ई खबरिया हो...
आह ! ई का ह भाई ? गजब क देहनी हँ. मन अइसन खुस भईल बा कि का कहीं.
रहन कहौ यहि देस न ऊधो
हमरी जाति अनरिया हो
राही हम कोउ अगम देस कै
चलब होत भिनुसरिया हो
भाई जी, ई सबका अकेले के फगुआ ह. ई याद रह जाई.
चन्द्र भूषण जी
आपका ब्लोग देखा बहुत अच्छा लगा. आपका ईमेल नहीं मिल रहा था इसलिए आपके ब्लोग पर लिख रहा हूँ. आपने रहीम के दोहे पर अपने कमेन्ट दी थी उसके संबंध में मेरा निवेदन है की अगर हम शाब्दिक अर्थ की बात कर रहे हैं तो मैंने इसे किताब से लिया है, और भावार्थ भी वैसा ही था हाँ मैंने थोडा उसे विस्तार दिया है. आखिर मुझे इसके लिए किसी किताब की मदद तो लेनी ही है. हो सकता हैं मुझसे गलती हुई हो, पर मेरा उद्देश्य ज्ञान बघारना नहीं होता बल्कि स्वाध्याय होता है. हाँ एक बात मैंने सुनी हैं की बेसन पेट के लिए हानिकारक नहीं होता जबकि मैदा होता है. फिर भी कहीं कोई त्रुटि हुई हो तो क्षमा प्रार्थी हूँ. आप जैसे विद्वान् से मिलना हो तो यह भाग्य ही होता है
दीपक भारतदीप
क्या बात है भाई...गजब,,,,वाह ही कह सकते हैम.
फगुआ औ अकेले तो होइन नै सकत
फगुआ का राग-रंग,गमक-महक,टोन-टेम्पर सब बहुत सुहाया . बेहतरीन !
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