Saturday, February 2, 2008

आमने-सामने

एक सागर अथाह, कुहासे का सागर
एक छोटी सी नाव, कागज की नाव

एक नन्हा सा फूल, सरसो का फूल
एक धीमा सा सुर, भौंरे का सुर

एक सर-सर नाता, नेह का नाता
एक हर-हर तूफान, वक्त का तूफान

एक गहरा अंधेरा, मौत का अंधेरा
एक हल्की आवाज, हिचकी की आवाज

एक भद्दी सी हंसी, नियति की हंसी
एक जिद्दी सा साहस, प्यार का साहस

7 comments:

अफ़लातून said...

बहुत खूबसूरत

azdak said...

ओहोहो..

Unknown said...

वाह!!

anuradha srivastav said...

बढिया.............

अभय तिवारी said...

सही है.. ज्ञान/विवेक वाली पोस्ट भी सही थी.. पर लोग नहीं आए.. बहस नहीं छिड़ी.. लोग कुछ और बहस्सिया रहे होंगे.. कुछ बातें पढ़ कर साँप सूँघ जाना भी सही होता है..

विजयशंकर चतुर्वेदी said...

आपकी कविता का यह नया 'पहलू' है.

पारुल "पुखराज" said...

kya baat hai....