पहलू

रात का राही

Monday, April 13, 2020

रात में एक बात

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शीशे जैसी मृदुल हवा में/ रोशनी के गोल दूधिया छत्र के नीचे/ किन्हीं नामालूम देशों के रंग-बिरंगे झंडे फहराता हुआ/ यह एक पांच सितारा होटल है/ ...
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Thursday, March 19, 2020

नया नीतिशास्त्र

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विनर और लूजर की बात मुझसे मत करो यह नीतिशास्त्र मेरी समझ से बाहर है लूजर होना मेरे लिए अक्सर इंसान होना है दुनिया बहुत जटिल है पर इतनी भी न...
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यह हरामी मुकाम

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दुनिया हरेक पल एक हरामी जगह से दर हरामी जगह में बदलती जा रही है कोई संतोष है इस बीच तो सिर्फ इतना कि इसके महिमामंडित किरानियों के बीच जब-तब...

ये लो आजादी

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प्रतिबद्ध राष्ट्रवादियों ने जाफराबाद में कतार बांधकर पैंट की फ्लाई खोल दी और अपने जलते घरों के सामने ठक खड़ी औरतों को उत्तेजित शिश्न दि...

बड़बड़ाना

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बौखलाहट में गद्य ही हो पाता है गर्दन झुकाए खुद से बड़बड़ाना जिनसे घनिष्ठता है वे पूछ बैठते हैं- ‘अकेले बैठे तुम्हारे होंठ हिलते हैं उंगलि...
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मुक़र्रर

चंद्रभूषण
नक्सली कार्यकर्ता रहा . इलाहाबाद , पटना और आरा में काम किया , जनमत पत्रिका में हाथ बँटाया . कविताएँ लिखीं , बहसें की और अभी हिंदी के पत्रकार के रूप में नोयडा / दिल्ली से इन्ही सारी चीज़ो के मायने समझने की कोशिश कर रहा हूँ .
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