Thursday, March 19, 2020

नया नीतिशास्त्र

विनर और लूजर की बात मुझसे मत करो
यह नीतिशास्त्र मेरी समझ से बाहर है
लूजर होना मेरे लिए अक्सर इंसान होना है
दुनिया बहुत जटिल है पर इतनी भी नहीं
कि किसी का भी जीतना अच्छा मान लिया जाए
कोई जीतता है तो किसी का घर उजड़ता है
यह तुम अपना घर उजड़े बगैर भी जान सकते हो
बुरे आदमी की जीत और अच्छे की हार
इस चमत्कारिक दौर की पहचान हो सकती है
इसके होने से कहानियां रसीली बनती हैं
और हकीकत के इतने करीब लगती हैं कि
देखने वाला खुद को सयाना समझने लगता है,
भले ही इसकी कुल तासीर पैसे देकर
लात खाने का इंतजाम करने की क्यों न हो
इस सौंदर्यशास्त्र में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है,
हालांकि मेरे गुस्से को यहां आराम मिलता है
बाहर बदलाव अगर इतना तेज हो कि
कुछ भी होना या न होना तुम्हारी मर्जी से परे हो
तो अच्छे का इंतजार मन पर भारी पड़ने लगता है
जोर की प्यास लगने पर कोई जहर तो नहीं पी लेता,
लेकिन समाज किसी अकेले की तरह कहां सोचता है?
दुख से ज्यादा इस समाज से मेरा गुस्से का साझा है
तुम आज एक हत्यारे को राज करते देख रहे हो
मै बचपन से अलग-अलग स्तरों पर यही देख रहा हूं
बहरहाल, हत्यारे की शक्ल कितनी भी चमक जाए
मेरी श्रद्धा उसमें नहीं जगती, माथा नहीं झुकता
हमारे सारे देवी-देवता शस्त्रधारी परम विजेता हैं
पर वे हमें लूजर ही बनाते हैं तो उनका मैं क्या करूं?

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