Monday, February 4, 2008

जुड़वां बच्चे बारिश के

टिप-टिप टिप-टिप
नन्हीं झींसियों से नम
पहली बारिश की सुबह
नर्म-नर्म-नर्म

किन-किन कोनों से
उचक-उचक झांकता
बिछल-बिछल नजरों से
भाग-भाग जाता
रंग एक अजनबी

गूंजता कहां-कहां
उलांचता-कुलांचता
सरगम के तारों पर
एक सुर अनोखा

एक रंग बेनाम
एक सुर बेनाम
जुड़वां बच्चे बारिश के
सभी को छकाते हुए
खेल रहे-खेल रहे

खेल रहे-खेल रहे
घुले-घुले धुले-धुले
भीगी हुई माटी की
गंध से मतवाले हम

बादलों को छूती
मीनारों से बेखौफ
बेपरवा सबके सब
दिव्य-भव्य ढांचों से
सभी को छकाते हुए
खेल रहे-खेल रहे

खेल रहे जाते हुए
याद की हदों के पार
उस आदिम बारिश की
आदिम संतानें हम

उड़ रहे फुहारों में
लाखों साल आर-पार
बरस रहे झींसियों में
टिप-टिप टिप-टिप

7 comments:

  1. झींसियों

    कला-कविता न करने वाले व्यक्ति को यह बताएँ कि झींसी क्या होता है? बूँद?

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  2. आलोक जी, झींसी बहुत ही छोटी बूंदों को कहते हैं, जो बूंदों की तरह ऊपर से नीचे गिरती हुई सी नहीं, हवा के साथ लगभग जमीन के समानांतर तैरती हुई सी आती हैं।

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  3. jhiisiyaan..udtii karti athkheliyaan...pyaari kavita

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  4. झींसी की ही तरह नरम कोमल कविता। अजनबी रंग का उचक कर झांकना। सुर का कुलाचें भरना वाह खूब।

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  5. झींसी की ही तरह नरम कोमल कविता। अजनबी रंग का उचक कर झांकना। सुर का कुलाचें भरना वाह खूब।

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  6. आलोक को कितना सुन्दर समझाया !

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  7. इस ठण्ड में आप बारिश की कविता पढ़वा रहे हैं.. नहीं पढ़ूंगा..

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