tag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post239325226293877444..comments2023-11-02T04:01:12.182-07:00Comments on पहलू: प्रेम से ज्यादा कमिटमेंट मांगती है जिंदगीचंद्रभूषणhttp://www.blogger.com/profile/11191795645421335349noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-46802089865448069622010-12-25T10:27:17.615-08:002010-12-25T10:27:17.615-08:00आप में वह हिम्मत है उस सच्चाइ को उलिच के बाहर करने...आप में वह हिम्मत है उस सच्चाइ को उलिच के बाहर करने का, जिसे सब जानते हुए भी या तो नाजानने का अभिनय कर चुप्पी साध के बैठे हुएँ है या जिसे सब नजानते हुए भी जानने का ढोङ करते हैं...<br />सच्चाइ अगर विष भी है तो उसे स्वीकर करने का और वह सेहतमन्द पेय है तो उसे ग्रहण गरने का क्षमता का विकास आज के समय में गुरुत्वपूर्ण है... <br />आप चीजों को देख सकते हैं, और दिखा भी सकते हौं...इसी तरह लिखते रहिएगा, निरंतर...Raja Puniani राजा पुनियानीhttps://www.blogger.com/profile/12836833517269086479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-84238960204434380382010-12-20T20:35:54.554-08:002010-12-20T20:35:54.554-08:00आपके ब्लाग पर पहली बार आई हूँ ,बहुत संतुलित विचार ...आपके ब्लाग पर पहली बार आई हूँ ,बहुत संतुलित विचार हैं ,एक दम कनविंसिंग.ज़्यादा कमिटमेंट माँगती है ज़िन्दगी ,इसीलिए कृष्ण ने निर्लिप्त हो कर कर्म करने की बात कही .सचमुच कृष्ण अनुकरणीय है !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-11892199823332653912010-12-02T09:55:35.757-08:002010-12-02T09:55:35.757-08:00बहुत सुन्दरता के साथ आज के संदर्भ में प्रेम का विश...बहुत सुन्दरता के साथ आज के संदर्भ में प्रेम का विश्लेष्ण |शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-61313250727881163922010-11-29T23:11:22.338-08:002010-11-29T23:11:22.338-08:00Gender का अंतर होने से जिंदगी अक्सर प्रेम से ज्या...Gender का अंतर होने से जिंदगी अक्सर प्रेम से ज्यादा कमिटमेंट मांगती है।umeshhttps://www.blogger.com/profile/12357614646829194102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-37145826882206771252010-11-28T01:57:05.569-08:002010-11-28T01:57:05.569-08:00दोनों ही कँटीली राहें हैं।दोनों ही कँटीली राहें हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-6306662541395925082010-11-27T06:57:56.496-08:002010-11-27T06:57:56.496-08:00आलेख का शीर्षक ही सब कुछ कह देता है. जिंदगी की सच्...आलेख का शीर्षक ही सब कुछ कह देता है. जिंदगी की सच्चाईयों को खूबसूरती से उकेरती सुंदर आलेख के लिए धन्यवाद. आभार.<br />सादर <br />डोरोथी.Dorothyhttps://www.blogger.com/profile/03405807532345500228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-66970269163966429282010-11-27T01:07:36.946-08:002010-11-27T01:07:36.946-08:00गज़ब का नतीज़ा निकाला है और ज़िन्दगी का सच भी कह दिया...गज़ब का नतीज़ा निकाला है और ज़िन्दगी का सच भी कह दिया………………सुन्दर और सटीक सोच का परिणाम है ये लेख्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-8973204410890299942010-11-27T00:23:24.263-08:002010-11-27T00:23:24.263-08:00अजित भाई, आपको पता ही है, इधर कैसी समस्याओं से घिर...अजित भाई, आपको पता ही है, इधर कैसी समस्याओं से घिरा रहा हूं। हालात कुछ सुधरे तो संकोच ने घेर लिया। अब आपने कह दिया तो अगले दो ही चार दिन में शुरू करता हूं।चंद्रभूषणhttps://www.blogger.com/profile/11191795645421335349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-55738955196289315292010-11-26T20:40:22.360-08:002010-11-26T20:40:22.360-08:00आपने तो शीर्षक में ही सब कुछ समेट लिया ..... सच यह...आपने तो शीर्षक में ही सब कुछ समेट लिया ..... सच यही है..... प्रभावी पोस्ट डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-77637294802833506692010-11-26T12:08:04.990-08:002010-11-26T12:08:04.990-08:00बहुत खूब। कुछ अलग सा लगा यह आलेख। इसे डूब कर पढ़ना...बहुत खूब। कुछ अलग सा लगा यह आलेख। इसे डूब कर पढ़ना होगा। आपकी बहुमुखी कलम की एक और मिसाल। <br />बकलमखुद के पाठक अगली कड़ियों के लिए व्यग्र हो रहे हैं।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-87524031083384016642010-11-26T10:57:56.955-08:002010-11-26T10:57:56.955-08:00शीर्षक पसंद आया।शीर्षक पसंद आया।Rangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.com