tag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post9183812791949367672..comments2023-11-02T04:01:12.182-07:00Comments on पहलू: शाखा कैसे लगाएँचंद्रभूषणhttp://www.blogger.com/profile/11191795645421335349noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-73726421973968669802007-07-06T20:57:00.000-07:002007-07-06T20:57:00.000-07:00कुंठा...सही कहा. मार्के की बात है कि नटराज ने इसका...कुंठा...सही कहा. मार्के की बात है कि नटराज ने इसका खंडन नहीं किया. मतलब शाखाएं इसी तरह लगती हैं. क्यों नटराज जी...?<BR/><BR/>आखिर महान भारतीय परंपरा के रक्षक जो ठहरे संघी.<BR/><BR/>हा हा हा...Reyaz-ul-haquehttps://www.blogger.com/profile/07203707222754599209noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-10179786002973564152007-05-30T04:40:00.000-07:002007-05-30T04:40:00.000-07:00sakhawala are finer strategicians than communists,...sakhawala are finer strategicians than communists, they simply avoid pegnenecy and related social hazzards. hats off for their rectum politics.chashmishhttps://www.blogger.com/profile/08867553461993326317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-88533297717461754712007-05-04T10:04:00.000-07:002007-05-04T10:04:00.000-07:00लगता है कि शाखा वालो से आपको काफ़ी प्यार है नट राज...लगता है कि शाखा वालो से आपको काफ़ी प्यार है नट राज जी महाराजRising Rahulhttps://www.blogger.com/profile/12177287386975138385noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-70851598099905718962007-05-04T10:03:00.000-07:002007-05-04T10:03:00.000-07:00लगता है कि शाखा वालो से आपको काफ़ी प्यार है नट राज...लगता है कि शाखा वालो से आपको काफ़ी प्यार है नट राज जी महाराजRising Rahulhttps://www.blogger.com/profile/12177287386975138385noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-22826332036833446452007-05-04T10:01:00.000-07:002007-05-04T10:01:00.000-07:00यार नट राज .. तुम तो दिल पे ले लेते हो. नाराज़ मत ...यार नट राज .. तुम तो दिल पे ले लेते हो. नाराज़ मत हुआ करो यार.. अब रेल गाड़िया तो गुजरात में भी जलाई जाती है और लोग वहाँ भी मारे जाते हैं .. अंतर इतना ही है की एक रोटी के लिए करता है और दूसरा धर्म के लिए , लगता है आपको रोटी की ज़रूरत नही .. तभी आप नाराज़ हो रहे हैं , तभी आपको जलती हुई रेल गाड़िया जल्दी दिखती हैं लेकिन भूख से मरते बच्चे नही .Rising Rahulhttps://www.blogger.com/profile/12177287386975138385noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-47521491559465251672007-05-01T21:09:00.000-07:002007-05-01T21:09:00.000-07:00यह भी बता दो, कैसे ट्रेने उड़ाई जाती है। कैसे बैंक ...यह भी बता दो, कैसे ट्रेने उड़ाई जाती है। कैसे बैंक लूटे जाते है। कैसे अपने ही देश वालो का खुन नक्सली बहाते है।Natarajhttps://www.blogger.com/profile/06662567390627494067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-85542981934859925562007-05-01T09:01:00.000-07:002007-05-01T09:01:00.000-07:00ha ha ha ha !! hansi hai ki ruk hi nahi rahi hai.....ha ha ha ha !! hansi hai ki ruk hi nahi rahi hai.. maja aa gaya..Rising Rahulhttps://www.blogger.com/profile/12177287386975138385noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-56539884191668644852007-05-01T05:15:00.000-07:002007-05-01T05:15:00.000-07:00हा हा.. होता है.. ऐसे लोग कई जगह और कई संगठनों में...हा हा.. <BR/><BR/>होता है.. ऐसे लोग कई जगह और कई संगठनों में होते हैं. ये सिकंदरियाई संस्कृति के लोगन हैं. इनके दद्दा कहते हैं कि माताओं को अष्टपुत्रवती होना चाहिए. खुद बेचारे ताउम्र कुंवारे रहते हैं. वो याद है ना मुखौटा दद्दा ने कहा था - 'मैं कुंवारा हूं ब्रह्मचारी नहीं'.नीरज दीवानhttps://www.blogger.com/profile/14728892885258578957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-2242625714059089192007-05-01T05:06:00.000-07:002007-05-01T05:06:00.000-07:00रोचक कि़स्सा है.. एक स्वयंसेवक की मानसिकता पर लिखी...रोचक कि़स्सा है.. <BR/>एक स्वयंसेवक की मानसिकता पर लिखी उदय प्रकाश की कहानी 'और अंत में प्रार्थना' मैं कभी भूल नहीं पाता सबसे ज़्यादा विवाद में रहने वाले एक संगठन के सद्स्य को वह जिस मनुष्यता के साथ चित्रित करती है मैं उसका क़ायल हो गया था..पूरे समूचेपन में पकड़ लिया था उन्होने उस चरित्र को..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-54323573896828052642007-05-01T04:27:00.000-07:002007-05-01T04:27:00.000-07:00बहुत सही भाई साहब...बहुत सही भाई साहब...Avinash Dashttps://www.blogger.com/profile/17920509864269013971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-76855786416491793752007-05-01T04:22:00.000-07:002007-05-01T04:22:00.000-07:00शाखा लगाते पकड़े गए संघ प्रचारक। कहते हैं, बालकों ...शाखा लगाते पकड़े गए संघ प्रचारक। कहते हैं, बालकों को प्याज खिलाकर उल्टा सुलाने का नुस्खा भी संघी आजमाते रहे हैं। वर्तमान से मुंह चुराने और अतीत को गरिमामंडित करने की सोच का हश्र इसी तरह की कुंठा में होता है। इसीलिए आप कभी संघियों के चेहरे पर तेज नहीं देख सकते। हमेशा लगता है जैसे किसी अपराधबोध से जूझ रहे हों।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.com