tag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post2288704708994338362..comments2023-11-02T04:01:12.182-07:00Comments on पहलू: तुम्हें नहीं लगताचंद्रभूषणhttp://www.blogger.com/profile/11191795645421335349noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-82583590096830266342008-05-13T11:05:00.000-07:002008-05-13T11:05:00.000-07:00achchee kavitaa,par mujhe aisaa kyo lagtaa hai ki ...achchee kavitaa,<BR/>par mujhe aisaa kyo lagtaa hai ki kuchh chhut gaya hai?nainitaalihttps://www.blogger.com/profile/06923222490629292573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-17098875499935431632008-05-08T07:43:00.000-07:002008-05-08T07:43:00.000-07:00उमर मिठास भी जोड़े है - खटास भी - पता नहीं कब क्या ...उमर मिठास भी जोड़े है - खटास भी - पता नहीं कब क्या कैसा लगता है ? मन कब विजयादशमी को याद करेगा और कब मोहर्रम को इसमे सोच का बस नहीं ? - सहमत / असहमत अलग बात है - आपकी याद रखने वाली बातों में से एक - बहुत सशक्त - सादर - मनीषAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-69496715931533377612008-05-08T00:35:00.000-07:002008-05-08T00:35:00.000-07:00जो कोई सवाल हो सकती थीजो शायद कोईजवाब भी हो सकती थ...जो कोई सवाल हो सकती थी<BR/>जो शायद कोई<BR/>जवाब भी हो सकती थी<BR/><BR/>bahut badhiyaa..पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-40971485108439178982008-05-08T00:09:00.000-07:002008-05-08T00:09:00.000-07:00प्यारे विजयबाबू, बातचीत में इतना डिप्लोमेटिक होने ...प्यारे विजयबाबू, बातचीत में इतना डिप्लोमेटिक होने की जरूरत नहीं है। सीधी सी बात है, अगर किसी बड़े कवि पर आपको बहस चलानी है तो यह काम उसे मैले में सानकर नहीं हो सकता। शमशेर के बारे में आप जो कह रहे हैं वह पहली बार नहीं कहा गया है, न ही वह आग्रह पहली बार किया गया है जो मैं कर रहा हूं। मैं नहीं जानता कि निदा फाजली ने उनके बारे में क्या बयान बदला लेकिन इस भ्रम में कभी मत रहिएगा कि किसी व्यक्ति का हवाला मैं उससे बिना बात किए दे दूंगा। <BR/><BR/>अशोक वाजपेयी का पितामह अगर आप शमशेर को मानते हैं तो शायद श्रीकांत वर्मा के संदर्भ में यह खिताब मुक्तिबोध को देते होंगे। साहित्य की ये भूलभुलैयां मुझे ज्यादा रास नहीं आतीं। न ही नागार्जुन, मुक्तिबोध, केदार, त्रिलोचन और शमशेर का कोई तुलनात्मक अध्ययन पेश कर पाने में मैं खुद को सक्षम पाता हूं। अलबत्ता उनकी रचनाओं के जो हल्के-फुल्के इंप्रेशंस दिमाग में हैं, उनके आधार पर कुछ बातें जरूर कही जा सकती हैं। <BR/><BR/>आप शुरू करिए, बीच-बीच में मुझे जो समझ में आएगा, वह मैं कहता रहूंगा। निवेदन इतना ही है कि कवियों पर बहस उनकी कविता को सामने रखकर हो। लट्ठमारी के ढंग से न हो, वर्ना सिरफुटौअल काफी सारी होगी, लोग भी देखने आएंगे, लेकिन कविता एक तरफ चली जाएगी।चंद्रभूषणhttps://www.blogger.com/profile/11191795645421335349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-7957207836147425252008-05-07T11:50:00.000-07:002008-05-07T11:50:00.000-07:00चंदू भाई, मैं यथासम्भव आपकी इज्जत करता हूँ. आपकी ...चंदू भाई, मैं यथासम्भव आपकी इज्जत करता हूँ. आपकी मैंने रामजी राय के साथ बाबा त्रिलोचन पर बातें सुनी है.. वह अद्भुत है. लेकिन कभी इस प्रश्न पर विचार कीजियेगा जो मैंने उठाया था , तफसील पर बहस हो सकती है. शमशेर पर आप किताबें उपलब्ध कराने की बात कर रहे थे. मैंने शमशेर को इतना पढ़ा है कि आप सोच भी नहीं सकते.. <BR/><BR/>मैंने वह टिप्पणी इसलिए हटाई कि मैं आपकी और आपकी जीवनयात्रा की कद्र करता हूँ. मैंने दुश्मनों के बीच एक निहत्थे यार को (शमशेर) को धकेल दिया. उसपे सबसे पहले आपकी टिप्पणी आयी. सबसे पहले. मेरा इरादा एक साहित्यिक बहस का था. मुझे इल्म नहीं था कि निदा फाज़ली कैसे अपने बयान बदलते हैं आपके साथ.<BR/><BR/>एक बात और, इसे जिद की तरह नहीं पेश कर रहा हूँ. लेकिन बाबा, त्रिलोचन और केदार के दौर के बाद अशोक वाजपई का पितामह कौन था, इस पर प्रमाणों के साथ बात प्रस्तुत करेंगे तो मुझे भई समझने का मौका मिलेगा . मैंने तो खैर पूरा प्रसंग ही ग़लत ढंग से पेश किया.<BR/>मैं चाहता हूँ कि बाबा, केदार, त्रिलोचन और मुक्तिबोध के बीच आप एक विश्लेषणपरक लेख लिखें. शमशेर और तत्कालीन और अब के भारतीय समाज को रखते हुए. .विजयशंकर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-16690849098503547972008-05-07T10:57:00.000-07:002008-05-07T10:57:00.000-07:00बहुत उम्दा.बहुत उम्दा.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-18619341268706924932008-05-07T04:55:00.000-07:002008-05-07T04:55:00.000-07:00wow....good one....sach kha ..lagta haiwow....good one....<BR/><BR/>sach kha ..lagta haiKeerti Vaidyahttps://www.blogger.com/profile/01874727539434284858noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5004531893346374759.post-91990078860423307752008-05-07T04:49:00.000-07:002008-05-07T04:49:00.000-07:00लगता है .. कभी-कभी!लगता है .. कभी-कभी!अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.com